वाक्य (The Sentence) की परिभाषा एवं प्रकार

वाक्य (The Sentence) की परिभाषा एवं प्रकार

 नमस्कार सभी दोस्तों आज के अध्याय में हम वाक्य (The Sentence) की परिभाषा एवं प्रकार के बारे में जानेंगे कारक की परिभाषा और उसके भेद के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

  1. मोहन पत्र लिखता है।
  2. हमें प्रदूषण से बचना चाहिए।
  3. छात्रों को खूब परिश्रम करना चाहिए।
  4. प्रातः कल के समय ठंडी वायु चलती है।
  5. भारतीय संस्कृति अत्यंत प्राचीन है।
वाक्य (The Sentence) की परिभाषा एवं प्रकार
वाक्य (The Sentence) की परिभाषा एवं प्रकार

ऊपर की पंक्तियों में कई शब्द (पद) हैं। ये परस्पर मिलकर पूरा अर्थ प्रकट कर रहे हैं इसलिए ये सभी वाक्य हैं।
पदों के ऐसे पारस्परिक मेल को, जिससे पूर्ण अर्थ का बोध हो, वाक्य कहते हैं।
आप पहले ही पढ़ चुके हैं कि वाक्य के दो खण्ड होते हैं - (1) उद्देश्य (Subject), तथा विधेय(Predicate)। जैसे
  • राम ने रावण को मारा।
  • झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
  • पर्वतराज हिमालय भारत का मुकुट कहा जाता है।
  • कुछ बच्चे घर के सामने बगीचे में प्रतिदिन खेलते हैं।
इन वाक्यों में उद्देश्य और विधेय देखिए:

उद्देश्य

विधेय

राम ने

रावण को मारा

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने

अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये

पर्वतराज हिमालय    

भारत का मुकुट कहा जाता है

कुछ बच्चे

घर के सामने बगीचे में प्रतिदिन खेलते हैं।


इन उदाहरणों से स्पष्ट है:
  • जिनके बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य (Subject) तथा उद्देश्य की विशेषता बताने वाले शब्दों को उद्देश्य का विस्तार (Enlargement of Subject) कहते हैं।
  • उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय (Predicate) कहते हैं।
  • उद्देश्य में कर्त्ता (Subject) या कर्त्ता का विस्तार (Enlargement of Subject) होता है। जैसे ऊपर के वाक्यों में - 'राम, लक्ष्मीबाई, हिमालय, बच्चे' - कर्त्ता तथा 'झाँसी की रानी', 'पर्वतराज', 'कुछ' - कर्त्ता का विस्तार।
  • विधेय में क्रिया, कर्म, पूरक, क्रिया-विशेषण आदि होते हैं, इन्हें विधेय का विस्तार कहा जाता है । जैसे - उपर्युक्त वाक्यों में -  'मारा', 'छक्के छुड़ा दिये, कहा जाता है, खेलते हैं' - क्रिया; 'रावण' - कर्म; 'मुकुट' - पूरक: 'प्रतिदिन'-  क्रियाविशेषण। ये सभी विधेय के विस्तार हैं।

सरल वाक्य का विग्रह (Analysis of Simple Sentences)

वाक्य के सभी अंगों को अलग-अलग करके लिखना ही वाक्य-विग्रह कहलाता है। सरल वाक्यों का वाक्य विग्रह करने के लिए आपको वाक्य के पांचों अंगों को छांटने का अभ्यास करना चाहिए । ये पाँच अंग हैं।
  1. कर्त्ता (Subject)
  2. कर्म (Object)
  3. क्रिया (Verb)
  4. पूरक(Complement)
  5. विस्तारपूरक (Extension)
आइए एक बार पुन: इन सबकी पुनरावृति कर लें।-
(क) कर्त्ता - जो काम करता है उसे कर्त्ता कहते हैं। जैसे 'सोहन आया है'-वाक्य में 'सोहन' कर्त्ता है।यदि कर्त्ता से पूर्व उसकी विशेषता बताने वाले शब्दों का प्रयोग हो, तो उसे कर्त्ता का विस्तार कहा जाता है। जैसे- 'छः विद्यार्थी आज विद्यालय नहीं आए - वाक्य में 'छ' शब्द कर्त्ता (विद्यार्थी) की विशेषता बताने के लिए प्रयोग किया गया है, अतः विद्यार्थी कर्त्ता तथा 'छः कर्त्ता का विस्तार है।

(ख) कर्म-जिस पर क्रिया के व्यापार का फल पड़े, उसे कर्म कहते हैं। जैसे- 'आचार्य ने छात्र को पढ़ाया-वाक्य में 'छात्र को' कर्म है। यदि कोई शब्द कर्म की विशेषता बताने के लिए प्रयोग किया जाए तो उसे कर्म का विस्तार कहा जाता है जैसे-
'आचार्य ने उस छात्र को पढ़ाया'-वाक्य में छात्र को' शब्द कर्म तथा 'उस' कर्म की विशेषता बताने के कारण कर्म का विस्तार है।

(ग) क्रिया-क्रिया वाक्य का अनिवार्य अंग है। इसके बिना कोई वाक्य नहीं बन सकता । (घ) पूरक- आप पढ़ चुके हैं कि कुछ क्रियाएँ अपने अर्थ को पूरा करने के लिए 'पूरक' रखती हैं। जैसे- 'हिमालय एक पर्वत है-वाक्य में 'पर्वत' शब्द पूरक है क्योंकि यदि इस शब्द का प्रयोग न करें तो 'हिमालय एक है' (The Himalaya is a .....)  वाक्य का अर्थ पूरी तरह स्पष्ट नहीं होता। इसलिए इस वाक्य में 'पर्वत' शब्द पूरक की भाँति प्रयोग किया गया है।
(ङ) विस्तारक- विशेषण तथा क्रियाविशेषण के अतिरिक्त कुछ अन्य शब्द भी वाक्य में विस्तारक का कार्य करते हैं। विशेषणों का प्रयोग 'कर्ता' या 'कर्म' के विस्तार के लिए तथा क्रियाविशेषणों का प्रयोग क्रिया के विस्तार के लिए होता है। इनमें से कुछ शब्दों को तो कर्ता का विस्तार, 'कर्म का विस्तार' में रख लिया जाता है, परन्तु फिर भी कई बार अन्य ऐसे शब्द बच जाते हैं जो न तो कर्त्ता का विस्तार हैं तथा न ही कर्म का इन्हें 'विस्तारक' शीर्षक में रखना चाहिए जैसे उसका भाई सायं 5 बजे से अपने मित्रों के साथ हिन्दी का गृह कार्य कर रहा है इस वाक्य में 'उसका कर्त्ता का विस्तार है, हिन्दी का-कर्म का विस्तार है। इस वाक्य में 'सायं पाँच बजे से अपने मित्रों के साथ-विस्तारक है।

सरल वाक्यों का वाक्य-विग्रह करने के लिए नीचे दी गई तालिका बनाई जाती है तथा उसी में विभिन्न शीर्षकों में वाक्य के अंगों का उल्लेख किया जाता है-

आइए कुछ वाक्यों का वाक्य-विग्रह करें-

  •  (क) आज कला प्रतियोगिता में सभी विद्यार्थियों ने उत्साह से भागलिया।
  • (ख) शिवाजी बचपन से ही वीर थे।
  • (ग) महाबली भीम ने गदा युद्ध में अहंकारी दुर्योधन को हरा दिया।
  • (घ) राम के पिताजी बम्बई से मेरे लिए कहानियों की एक पुस्तक लाए ।
तालिका

वाक्य

उद्देश्य

विधेय

 

कर्त्ता

कर्त्ता का विस्तार

क्रिया

क्रिया का पूरक

कर्म

कर्म का विस्तार

विस्तारक

आज.... चित्र बनाया।

विद्यार्थियों ने

सभी

भाग लिया

X

X

 X

आज कला प्रतियोगिता में, उत्साह से

बचपन .... थे।

शिवाजी

X

थे

वीर

X

X

बचपन से ही

महाबली ..... दिया

भीम ने

महाबली

 

 

 

 

गदा युद्ध में

राम .... लाए

पिताजी

राम के

लिए

X

पुस्तक

कहानियों की एक

मुंबई से मेरे लिए


वाक्य के प्रकार (Types of Sentences)

वाक्य के प्रकार (Types of Sentences) प्रत्येक वाक्य भिन्न-भिन्न अर्थ प्रकट करता है। जैसे-

साधारण कथन- 'राग जाता है: कथन का निषेध-राम नहीं जाता है: प्रश्न- क्या राम जाता है? व राम, जाओ (आज्ञा) आदि।

(क) अर्थ के आधार पर वाक्य निम्नलिखित आठ प्रकार के माने गए हैं :

  • 1. विधानवाचक (Assertive Sentence) | 
  • 2. निषेधवाचक या नकारात्मक (Negative Sentence) ।
  • 3. प्रश्नवाचक (Interrogative Sentence) |
  • 4. सकेतवाचक (Conditional Sentence) | 
  • 5. संदेहवाचक (Sentence Indicating Doubt ) ।
  • 6. इच्छावाचक (Illative Sentence) | 
  • 7. आज्ञावाचक (Imperative Sentence)| 
  • 8. विस्मयादिवाचक (Exclamatory Sentence) ।
1. विधानवाचक-जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने का सामान्य कथन हो, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे- 
(क) वह प्रतिदिन व्यायाम करता है। ( काम का करना)

(ख) सूर्य आग का बड़ा गोला है। (क्रिया का होना)

2. निषेधवाचक-जिन वाक्यों में क्रिया के न करने या न होने का कथन हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
(क) वह प्रतिदिन व्यायाम नहीं करता है। (काम का न करना) 

(ख) चन्द्रमा आग का बड़ा गोला नहीं है। (क्रिया का न होना)

3. प्रश्नवाचक-जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-

(क) क्या वह प्रतिदिन व्यायाम करता है ?

(ख) क्या सूर्य आग का बड़ा गोला है ?

4. संकेतवाचक- जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे- 
(क) सूर्य उदय होगा तो अन्धकार नष्ट होगा ।
(ख) तुम परिश्रम करते तो अवश्य सफल होते ।

5. संदेहवाचक- जिन वाक्यों में सन्देह या सम्भावना का बोध हो, उन्हें सदेहवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-

(क) अब तक वह घर पहुँच चुका होगा। 
(ख) शायद मैं भी वहाँ जाऊँ।

6. इच्छावाचक - जिस वाक्य से वक्ता की इच्छा, आशा, शुभकामना, आशीर्वाद आदि का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) ईश्वर तुम्हें सुखी रखे। (आशा, कामना, शुभकामना, आशीर्वाद) 
(ख) आज तो कोई मिठाई खिला दे । (इच्छा)

7. आज्ञावाचक-जिन वाक्यों से आज्ञा, आदेश अनुमति या अनुरोध का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-

(क) मोहन, तुम कमरे से बाहर चले जाओ  । (आज्ञा/आदेश)
(ख) अब आप अन्दर आ सकते हैं। (अनुमति)
(ग) कृपया कल फिर आइए। (अनुरोध)

8. विस्मयादिवाचक-जिन वाक्यों में विस्मय (आश्चर्य), हर्ष, घृणा, आदि भाव प्रकट हो, उन्हें विस्मयादिवाचक वाक्य

कहा जाता है। जैसे-

(क) अहा ! कैसा सुन्दर दृश्य है !  (हर्ष)
(ख) ओह ! बेचारा कुचला गया ! (शोक)
(ग) ऐ ! तुम भी आ गए!  (विस्मय/ आश्चर्य)
(घ) छि इतनी बदबू ! (घृणा)

(ख) रचना या बनावट की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद माने गए हैं। नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए:

(क) राणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।
(ख) मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता हूँ और मेरी बहिन पाँचवीं में ।
(ग) हमारे प्रधानाचार्य ने कहा था कि कल विद्यालय बन्द रहेगा।

पहले वाक्य में 'राणा प्रताप-केवल एक उद्देश्य (कर्त्ता), तथा स्वीकार  नहीं की केवल एक क्रिया है। यह सरल या साधारण वाक्य है।

जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो, वह साधारण वाक्य कहलाता है। 
दूसरे वाक्य में मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता हूँ' तथा 'मेरी बहिन पाँचवी में पढ़ती है ये दोनों वाक्य और समुच्चयबोधक से जुड़े हैं ये दोनों वाक्य स्वतंत्र है अर्थात् इनमें से कोई-सा वाक्य भी किसी दूसरे पर आश्रित नहीं है। यह संयुक्त वाक्य है।
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक वाक्य स्वतंत्र रूप से किन्तु परन्तु और तथा या आदि समुच्चयषको से जुड़े हो वे संयुक्त वाक्य कहलाते है। 
तीसरे वाक्य में भी दो वाक्य हमारे प्रधानाचार्य ने कहा और कल विद्यालय बन्द रहेगा कि समुच्चयबोधक से जुड़े है परन्तु इनमें कल - विद्यालय बन्द रहेगा-वाक्य पहले वाक्य पर आश्रित है। यह मिश्रित वाक्य है।

जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों तथा उनमें एक प्रधान तथा अन्य वाक्य गौण या उस पर आश्रित हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

अतः स्पष्ट है कि बनावट की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं :

(क) सरल वाक्य (Simple Sentence)। 
(ख) संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)
(ग) मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)।

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Hari Mohan
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