नमस्कार मित्रों इस अध्याय में हम सम्बन्धबोधक (Postposition) की परिभासा और इसके भेद के बारे मे सही से पढ़ेंगे।
नीचे दिये वाक्यों को पढिए:
- मेरे सामने से भाग जा
- दशरथ ने राम से कहा की तुम्हारे बिना मैं नहीं रह सकूँगा।
- धन के बिना कोई नहीं पूछता।
- पुलिस चोर के पीछे पड़ी है।
- राम के साथ उसका भाई भी विद्यालय जाता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'सामने', 'के बिना', 'के पीछे', 'के साथ', आदि शब्द वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध का बोध कराते हैं। ये सम्बन्धबोधक हैं।
सम्बन्धबोधक (Postposition) की परिभाषा और इसके भेद |
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'मेरे ____ से भाग जा', 'धन ____ कोई नहीं पूछता', 'पुलिस चोर____'
पड़ी है' तथा 'राम _____ उसका भाई भी विद्यालय जाता है', वाक्यों को पढ़कर कोई बात समझ में नहीं आती। यदि सम्बन्धबोधकों का प्रयोग कर लिया जाए तो वाक्य में आए संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों का सम्बन्ध अन्य शब्दों से इस प्रकार जुड़ जाता है कि वाक्य का अर्थ समझ में आ जाता है।
जिन शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम का वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध जाना जाता है, वे सम्बन्धबोधक कहलाते हैं।
सम्बन्धबोधक के भेद
हिन्दी में मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धबोधकों का प्रयोग होता है:-
1. जब सम्बन्धबोधक संज्ञाओं कि विभक्तियों के पीछे आएँ । जैसे -
- राम के बिना वह भी नहीं गया।
- कलाम के बिना लिखा नहीं जा सकता।
- राम के पश्चात मोहन आया।
- घर के अंदर चोर घुस गए।
- गर्मी के मारे बुरा हाल है।
- मोहन की अपेक्षा सोहन तेज है।
- मोहन के लिए फल लाया हूँ।
- राम के अतिरिक्त कोई रावण को नहीं मार सकता था।
- गेहूं के साथ घुन भी पिसता है।
- वह वर्षों तक इस नगर में रहता था।
- यह बात कुछ दिनों पहले हुई थी
हिन्दी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले सम्बन्धबोधक निम्नलिखित हैं।
- स्थानसूचक - के पीछे, के आगे, के नीचे, के ऊपर, के पास आदि।
- कालसूचक - के पहले, कि तरफ, के चारों ओर आदि।
- साधनसूचक - के द्वारा, के सहारे आदि।
- समानतासूचक - के समान, के बराबर, की तरह, की भांति आदि।
- कारणसूचक - के कारण, के मारे आदि।
- तुलनासूचक - की अपेक्षा, के आगे आदि।
- साथसूचक - के संग, के साथ, के सहित आदि।
- विरोधसूचक - के विरुद्ध, के विपरीत, के खिलाफ आदि।
सम्बन्धबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर
यहाँ, पहले, भीतर, बाहर, नीचे, ऊपर, पास, सामने जैसे कुछ शब्द सम्बन्धबोधक तथा क्रियाविशेषण दोनों रूपों में पाये जाते हैं; परंतु इनके प्रयोग को देखकर इनके स्वरूप को पहचाना जा सकता है कि ये क्रियाविशेषण हैं या सम्बन्धबोधक।
जब इनका प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के साथ होता है तब ये सम्बन्धबोधक होते हैं और जब ये क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब क्रियाविशेषण। जैसे-
राम भीतर गया। राम घर के भीतर गया। | क्रियाविशेषण संबंधबोधक |
सुरेन्द्र नीचे बैठा है। पेड़ के नीचे छाया का आनंद लो। | क्रियाविशेषण संबंधबोधक |
गीता यहाँ रहती है। गीता अपने मामा जी के यहाँ रहती है | क्रियाविशेषण संबंधबोधक |
सामने देखो। घर के सामने उपवन है। | क्रियाविशेषण संबंधबोधक |
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