नमस्कार मित्रों आप सभी का फिर से स्वागत है हमारी वैबसाइट भाषा Grammar में इस अध्याय में आपको काल (Tense) के बारे में पढ़ाया जाएगा और हमारी पूरी कोशिश होगी कि आपको इस अध्याय को पढ़ने के बाद काल (Tense) के बारे में सब कुछ पता चल जाएगा।
- राम ने रावण को मारा था।
- हम कल बस से शिमला जाएंगे।
- लड़का फल खाता है।
काल (Tense) |
इन तीनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िये तथ क्रिया-पद छंटिए।
इनमें 'मारा था', 'जाएंगे' और 'खाता है' शब्द क्रियाएँ हैं। इनमें काम के होने के अलग-अलग समयों (काल) का बोध होता है।
'मारा था' - क्रिया के समाप्त हो चुकने का पता चल रहा है।
'जाएंगे' - क्रिया से या ज्ञात होता है कि कार्य का होना अभी बाकी है।
'खाता है' - क्रिया से यह ज्ञात होता है कि कार्य चल रहा है।
इस आधार पर क्रिया के काल के तीन भेद माने गए हैं।
यह भी पढ़ें - क्रिया (Verb)
काल के भेद
क्रिया के जिस रूप से कार्य के समाप्त हो चुकने का पता चले, उसे भूतकाल कहते हैं जैसे
- राम दशरथ के पुत्र थे।
- मैं कल विद्यालय गया था।
- वह पढ़ रहा था।
- श्री कृष्ण ने पापी कंस को मारा।
भूतकाल के भेद (Kinds of Past Tense)
भूतकाल के निम्नलिखित छ: भेद माने जाते हैं:
1. सामान्य भूत (Simple Past/Past Indefinite)
- पुलिस ने भीड़ पर गोली चलाई।
- शिकारी ने शेर मारा।
- नेता जी ने भाषण दिया।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'चलाई', 'मारा' तथा 'दिया' - से ज्ञात होता है कि कार्य सामान्य रूप से बीते हुए काल में पूरा हो गया है। इस तरह की क्रियाएँ सामान्य भूत कहलाती हैं। जहां बीते हुए काल में कार्य (व्यापार) के होने का बोध हो, वहाँ सामान्य भूत होता है।
2. आसन्न भूत (Recent/Immediate past)
- पिता जी फल लाये हैं।
- वह अभी आया है।
- कैलाश गया है।
इन वाक्यों कि क्रियाओं - 'लाए हैं', 'आया है' और 'गया है' से ज्ञात होता है कि कार्य कुछ देर पूर्व ही समाप्त (पूर्ण) हुआ है। इस तरह कि क्रियाएँ आसन्न भूत कहलाती है। जहां निकट भूत में क्रिया कि समाप्ती पाई जाए, वहाँ आसन्न भूत होता है।
3. पूर्ण भूत (Complete Past/Past Perfect)
- भारत में हुए विश्वकप के फ़ाइनल में भारत ने विश्व कप जीता था।
- श्रीराम ने रावण को मारा था।
- मैं पुस्तक खरीदी थी।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'जाता था', 'मारा था' तथा 'खरीदी थी' से ज्ञात होता है कि कार्य बहुत पहले पूर्ण हो चुका है। इस तरह कि क्रियाएँ पूर्ण भूत होती हैं। जिस क्रिया से यह बोध हो कि कार्य को समाप्त हुए बहुत समय बीत चुका है, वह पूर्ण भूत कहलाती है
4. अपूर्ण भूत (Incomplete Past/Past Imperfect/Past Continuous)
- वह आता था।
- परिक्षाएं चल रही थीं।
- मोहन पढ़ता था।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'आता था', 'रही थीं' तथा 'पढ़ता था' से ज्ञात होता है कि 'आने', 'परिक्षाएं चलने' तथा 'पढ़ने' का कार्य भूतकाल में प्रारम्भ अवश्य हुआ परंतु उसकी समाप्ती अभी तक नहीं हुई। ऐसी क्रियाएँ अपूर्ण भूत कहलाती हैं। जिस क्रिया से या बोध हो कि भूतकाल में आरंभ किया हुआ काम अभी भी समाप्त नहीं हुआ, वह अपूर्ण भूत कहलाती है।
5. संदिग्ध भूत (Doubtful Past)
- राम ने खाना खाया होगा।
- शायद उसने भी प्रतियोगिता में भाग लिया होगा।
- चोर पकड़ा गया होगा।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'खाया होगा','भाग लिया होगा' तथा ' पकड़ा गया होगा' से ज्ञात होता है कि कार्य भूतकाल में पूरा हुआ अथवा नहीं, निश्चय के साथ इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता। इस तरह की क्रिया संदिग्ध भूत कहलाती है। भूतकाल की जिस क्रिया के करने या होने पर संदेह प्रतीत हो, वह संदिग्ध भूत कहलाती है।
6. हेतु-हेतुमद भूत (Conditional Past)
- यदि पुलिस सावधानी बरतती तो आतंकवादी पकड़ा जाता।
- यदि वर्षा अधिक नहीं होती तो फसल भी खराब नहीं होती।
- यदि तुम आते तो मैं भी तुम्हारे साथ अवश्य चलता।
इन वाक्यों की क्रियाओं को देखने से पता चलता है कि जो क्रिया भूतकाल में होनी थी, वह नहीं हो पाई। केवल शर्त बता दी गयी है कि यदि ये बातें पूर्ण होती तो भूतकाल में कार्य संपन्न हो जाता। क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया भूतकाल में होती, किन्तु किसी कारण से हुई नहीं, वहाँ हेतु-हेतुमद भूत होता है
2. भविष्यत् काल (Future Tense)
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य का होना अभी बाकी है, उसे भविष्यत् काल कहते हैं। जैसे -
- पिता जी कल अमेरिका से आएंगे।
- दोपहर तक ठंड कम हो जाएगी।
- मैं कल विद्यालय नहीं जाऊंगा।
- मैं शाम तक घर पहुंचूंगा।
भविष्यत् काल के भेद
भविष्यत् काल के निम्नलिखित दो भेद होते हैं:
- सामान्य भविष्यत्
- संभाव्य भविष्यत्
- कल विद्यालय बंद रहेगा।
- सुबह होने तक वे आ जाएंगे।
- हम कल सवेरे की गाड़ी से मुंबई जायेंगे।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'बंद रहेगा', 'आ जायेंगे' तथा 'जायेंगे' से बोध होता है कि ये सब काम आगे आने वाले समय में पूर्ण होंगे। ये सभी क्रियाएँ सामान्य भविष्यत् काल की हैं। क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में उसके करने या होने का बोध, वह सामान्य भविष्यत् काल कहलाता है।
संभाव्य भविष्यत् (Doubtful Future)
- शायद परसों विद्यालय बंद रहे।
- जब वह मेरे घर आयेगा तो शायद न मिलूँ।
- संभव है देश में देश में चुनाव हों
इन वाक्यों की क्रियाओं से कार्य के होने का निश्चित रूप से बोध नहीं होता, परंतु उसकी संभावना का पता अवश्य चलता है। इस तरह की क्रियाएँ संभाव्य भविष्यत् की है। क्रिया के जिस रूप से भविष्यत् कल में कार्य के होने में संदेह या संभावना पाई जाए, वह संभाव्य भविष्यत् कहलाता है।
वर्तमान काल (Present Tense)
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में हो रहा है अर्थात काम चल रहा है, उसे वर्तमान काल कहते हैं। जैसे -- मैं रोटी खाता हूँ।
- गाड़ी आ रही है।
- वह खाना खा चुका है।
- इन्दु जी हमें हिन्दी पढ़ती हैं।
वर्तमान काल के भेद |
1. सामान्य वर्तमान (Present Indefinite/Simple Present)
- सुधांशु चित्र बनाता है।
- अंजलि हॉकी खेलती है।
- लड़के शोर मचाते हैं ।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'बनाता है', 'खेलती है' तथा 'शोर मचाते है' - से कार्य के वर्तमान काल में सामान्य रूप से होने का बोध होता है। ये सभी क्रियाएँ सामान्य वर्तमान की उदाहरण हैं। क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में क्रिया का करना या होना पाया जाता है, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं।
2. अपूर्ण वर्तमान (Present Continuous/Present Imperfect)
- सुधांशु चित्र बना रहा है।
- अंजली हॉकी खेल रही है।
- लड़के शोर मचा रहे हैं।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'बना रहा है', 'खेल रही है' तथा 'शोर मचा रहे हैं'- से यह बोध हो रहा है कि वर्तमान काल में क्रिया अभी चल रही है, समाप्त नहीं हुई है। ऐसी क्रियाओं को अपूर्ण वर्तमान कहा जाता है। जिस क्रिया के द्वारा यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में प्रारम्भ हुआ तथा अभी समाप्त नहीं हुआ, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं।
3. संदिग्ध वर्तमान (Doubtful Present)
- अब सुधांशु चित्र बनाता होगा।
- अंजलि इस समय हॉकी खेलती होगी।
- लड़के शोर मचाते होंगे।
इन वाक्यों की क्रियाओं - 'बनाता होगा', 'खेलती होगी' तथा 'शोर मचाते होंगे' से ज्ञात हो रहा है कि कार्य वर्तमान समय में ही हो रहा है परंतु उसके होने में संदेह बना हुआ है। इस तरह की क्रियाएँ संदिग्ध वर्तमान के नाम से जानी जाती है। जिस क्रिया के द्वारा वर्तमान काल में कार्य के होने या करने में संदेह का बोध हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं।